हिंदी व्याकरण में समास के जिस भेद का सबसे अधिक प्रयोग होता है, वह है तत्पुरुष समास। ‘राजपुत्र’, ‘गंगाजल’, ‘देशभक्त’ और ‘घुड़सवार’ जैसे शब्द रोज़मर्रा की भाषा में इतने common हैं कि हमें पता भी नहीं चलता कि ये समास के ही उदाहरण हैं। जैसा कि हमने 【समास किसे कहते हैं?】 वाले अपने मुख्य लेख में जाना, तत्पुरुष समास अपने six types के साथ सबसे विस्तृत भेद है।
इस लेख में, हम तत्पुरुष समास को परिभाषा, पहचान के नियम, और इसके सभी 6 भेदों को 50+ उदाहरणों के साथ विस्तार से समझेंगे। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि इसे अव्ययीभाव समास से कैसे अलग करें।
तत्पुरुष समास किसे कहते हैं? परिभाषा (Tatpurush Samas Definition)
तत्पुरुष समास की परिभाषा: जिस समास में उत्तरपद (दूसरा शब्द) प्रधान होता है और पूर्वपद与 उत्तरपद के बीच कारक संबंध होता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
सरल भाषा में समझें:
- उत्तरपद प्रधान: इसमें समस्तपद का अर्थ उत्तरपद (अंतिम शब्द) पर केंद्रित होता है। ‘राजपुत्र’ में ‘पुत्र’ प्रधान है।
- कारक संबंध: विग्रह करने पर दोनों शब्दों के बीच में कारक चिह्न (जैसे – का, के, को, से, में, पर) आता है। ‘राजपुत्र’ का विग्रह है ‘राजा का पुत्र’ (यहाँ ‘का’ कारक चिह्न है)।
- समस्तपद का प्रकार: तत्पुरुष समास से बना समस्तपद आमतौर पर एक संज्ञा (Noun) या विशेषण (Adjective) बनता है।
उदाहरण के लिए:
‘विद्यालय‘ शब्द लें। यह ‘विद्या’ (पूर्वपद) और ‘आलय’ (उत्तरपद) से मिलकर बना है। यहाँ ‘आलय’ (स्थान) प्रधान है। इसका विग्रह है ‘विद्या के लिए आलय’ (यहाँ ‘के लिए’ कारक चिह्न है)। पूरा शब्द एक संज्ञा है।
तत्पुरुष समास की पहचान कैसे करें? (Identification Rules)
तत्पुरुष समास को पहचानने के लिए निम्नलिखित rules याद रखें:
- Rule 1: उत्तरपद प्रधान होता है। विग्रह करने पर पता चलेगा कि अर्थ का मुख्य केंद्र उत्तरपद ही है।
- Rule 2: विग्रह में कारक चिह्न आता है। विग्रह करने पर पूर्वपद और उत्तरपद के बीच ‘का’, ‘के’, ‘को’, ‘से’, ‘में’, ‘पर’ आदि में से कोई न कोई विभक्ति (case marker) अवश्य आएगी।
- Rule 3: समस्तपद संज्ञा/विशेषण बनता है। अव्ययीभाव के विपरीत, यहाँ बना शब्द किसी क्रिया की विशेषता नहीं बताता बल्कि किसी व्यक्ति, स्थान या वस्तु का नाम होता है या उसकी विशेषता बताता है।
तत्पुरुष समास के 6 भेद (6 Types of Tatpurush Samas)
तत्पुरुष समास के मुख्य रूप से छह उपभेद हैं, जो विग्रह करने पर आने वाले अलग-अलग कारक चिह्नों के आधार पर बांटे गए हैं।
1. कर्म तत्पुरुष समास
- पहचान: विग्रह करने पर ‘को‘ विभक्ति का बोध होता है।
- उदाहरण:
- गंगाजल -> गंगा का जल (जल को गंगा? नहीं, ‘का’ संबंध कारक है। यह एक अपवाद है। पारंपरिक रूप से इसे कर्म तत्पुरुष में ही रखा गया है।)
- यज्ञशाला -> यज्ञ के लिए शाला (शाला को यज्ञ? नहीं, ‘के लिए’ है। यह भी एक अपवाद/चर्चा का बिंदु है।)
- देशभक्त -> देश का भक्त (भक्त को देश? नहीं। वास्तव में, अधिकांश उदाहरण संबंध तत्पुरुष के अंतर्गत आते हैं।)
नोट: ‘को’ कारक वाले शब्द दुर्लभ हैं। व्यावहारिक रूप से, परीक्षा में पारंपरिक रूप से मान्य उदाहरणों like ‘गंगाजल’ को ही कर्म तत्पुरुष माना जाता है।
2. करण तत्पुरुष समास
- पहचान: विग्रह करने पर ‘से‘ (करण कारक) विभक्ति का बोध होता है। इसमें कार्य किस साधन से किया गया, यह पता चलता है।
- उदाहरण:
- अन्धविश्वास -> अन्धे से विश्वास
- दयाभाव -> दया से भाव
- हस्तलिखित -> हाथ से लिखित
- मृगतृष्णा -> मृग की तृष्णा (से) (रूपकात्मक)
3. सम्प्रदान तत्पुरुष समास
- पहचान: विग्रह करने पर ‘के लिए‘ विभक्ति का बोध होता है। इसमें कुछ देने या किसी उद्देश्य का भाव छिपा होता है।
- उदाहरण:
- विद्यालय -> विद्या के लिए आलय (स्थान)
- देवालय -> देवताओं के लिए आलय
- जलाशय -> जल के लिए आशय (स्थान)
- गोदान -> गाय के लिए दान
4. अपादान तत्पुरुष समास
- पहचान: विग्रह करने पर ‘से‘ (अलग होने का भाव) विभक्ति का बोध होता है। इसमें डर, बचाव, अलगाव, तुलना का भाव होता है।
- उदाहरण:
- आत्मविश्वास -> आत्मा से विश्वास
- निस्सार -> सार से रहित
- देशनिकाला -> देश से निकाला
- भयभीत -> भय से भीत
5. सम्बन्ध तत्पुरुष समास
- पहचान: विग्रह करने पर ‘का, की, के‘ (संबंध कारक) विभक्ति का बोध होता है। यह सबसे common और व्यापक प्रकार का तत्पुरुष समास है।
- उदाहरण:
- राजपुत्र -> राजा का पुत्र
- ग्रामवासी -> ग्राम का वासी
- पंचवटी -> पांच वटों का समूह
- दिनांक -> दिन का अंक
- महाराजा -> महान है जो राजा (कर्मधारय)
6. अधिकरण तत्पुरुष समास
- पहचान: विग्रह करने पर ‘में, पर‘ विभक्ति का बोध होता है। इसमें आधार (जगह, समय) का भाव होता है।
- उदाहरण:
- घुड़सवार -> घोड़े पर सवार
- आजीवन -> आजीविका के लिए (जीवन में)
- देशद्रोही -> देश का द्रोही (संबंध)
- न्यायालय -> न्याय के लिए आलय (सम्प्रदान)
तत्पुरुष vs अव्ययीभाव समास: अंतर (Difference)
यह अंतर समझना परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आधार | तत्पुरुष समास | अव्ययीभाव समास |
---|---|---|
प्रधान पद | उत्तरपद प्रधान होता है। | पूर्वपद प्रधान होता है। |
पूर्वपद | पूर्वपद किसी भी प्रकार का शब्द हो सकता है। | पूर्वपद हमेशा एक अव्यय होता है। |
विग्रह | विग्रह में कारक चिह्न (का, से, के लिए) आता है। | विग्रह में अव्यय का ही भाव प्रधान रहता है। |
समस्तपद | समस्तपद एक संज्ञा या विशेषण बनता है। | समस्तपद एक अव्यय (क्रिया विशेषण) बनता है। |
उदाहरण | राजपुत्र (संज्ञा) | प्रतिदिन (क्रिया विशेषण) |
अभ्यास प्रश्न (Practice Questions)
- निम्नलिखित शब्दों का विग्रह करके समास का भेद बताइए:
- क) देशभक्त
- ख) जलाशय
- ग) भयभीत
- घ) हस्तलिखित
- बताइए कि नीचे दिए गए शब्द तत्पुरुष समास के किस भेद के अंतर्गत आते हैं:
- क) पदचिह्न
- ख) ग्रामवासी
- ग) देवालय
- घ) निस्सार
उत्तर:
- क) देशभक्त -> देश का भक्त (संबंध तत्पुरुष), ख) जलाशय -> जल के लिए आशय (सम्प्रदान तत्पुरुष), ग) भयभीत -> भय से भीत (अपादान तत्पुरुष), घ) हस्तलिखित -> हाथ से लिखित (करण तत्पुरुष)
- क) पदचिह्न -> पद का चिह्न (संबंध), ख) ग्रामवासी -> ग्राम का वासी (संबंध), ग) देवालय -> देवताओं के लिए आलय (सम्प्रदान), घ) निस्सार -> सार से रहित (अपादान)
निष्कर्ष (Conclusion)
तत्पुरुष समास हिंदी भाषा का सबसे लचीला और व्यापक समास है। इसके सभी भेदों को याद रखने का सबसे आसान तरीका है विग्रह करने का अभ्यास करते रहना। विग्रह करने पर जो कारक चिह्न आएगा, वही आपको सही भेद बताने में मदद करेगा।
आगे पढ़ें: समास के बारे में और अधिक जानने के लिए हमारा मुख्य लेख 【समास किसे कहते हैं?】 जरूर पढ़ें। समास के अन्य भेदों के बारे में जानने के लिए 【द्वन्द्व समास की पूरी जानकारी】 और 【बहुव्रीहि समास】 पर जाएँ।